What is relation in Journalism and Public Relations? | पत्रकारिता और जनसंपर्क में क्या संबंध है?

आधुनिक युग प्रचार का युग है। इसे साकार करने को जनसम्पर्क या लोक सम्पर्क कहते हैं। जनसम्पर्क अर्थात् जन+सम्+पर्क। ‘जन’ शब्द का अर्थ आम जनता, लोक या लोग, सम का अर्थ है- समान रूप से या बराबर, पर्क का अर्थ तो मेलजोल है। इस प्रकार (पत्रकारिता और जनसंपर्क) जनसम्पर्क का अर्थ हुआ आम जनता या लोगों से मेलजोल बढ़ाना । 

यद्यपि जनसम्पर्क की परिभाषा देना अत्यन्त कठिन कार्य है फिर भी जनसम्पर्क के विषय में कुछ परिभाषाएं इस प्रकार है ।

वेबस्टर शब्दकोश में लोकसम्पर्क के विषय में लिखा है- “कोई उद्योग यूनियन, कार्पोरेशन, व्यवसाय, सरकार या अन्य संस्था जब अपने ग्राहकों, कर्मचारियों, हिस्सेदारों या जनसाधारण के साथ स्वास्थ्य और उत्पादक सम्बन्ध स्थापित करने या उन्हें स्थायी बनाने के लिए प्रयत्न करे, जिनसे वह अपने आपको समाज के अनुकूल बना सके अथवा अपना उद्देश्य समाज पर व्यक्त कर सके, उनके उन प्रयत्नों को लोकसम्पर्क कहते हैं ।” 

स्कॉट एम. कटलिप ने Effective Public Relation नामक पुस्तक में स्पष्ट किया है- “Public Relation is the management function that ideatifies, establishes and maintains mutual beneficial relationship between an origanisation and the various publics on whom success or failure depend’ 

सी.डब्ल्यू. प्लेटस की मान्यता है – इस प्रक्रिया में जनता तक बात पहुंचायी जाती है और जनता की बात प्रशासन या प्रबन्धकों तक। 

साम बलैक ने ‘प्रैक्टीकल जनसम्पर्क में स्पष्ट किया है कि मौलिक रूप से जनसम्पर्क क्रिया दोहरी सूझबूझ, सत्यता, ज्ञान और पूर्ण सूचना देने का कार्य है। 

विलियम रिवर्स ने ‘द मास मीडिया में जनसम्पर्क के विषय में • स्पष्ट किया है- “जनसम्पर्क एक द्विमुखी प्रक्रिया है, इसके अन्तर्गत सुनियोजित ढंग से जनमत प्रभावित करने और उसे अपने अनुरूप बनाये रखने के लिए राम होता है दूसरी ओर जनमत निर्धारित कर संगठन की कार्यनीति में आवश्यक बदलाव लाये जाते हैं। 

सन् 1978 में मैक्सिको में अन्तर्राष्ट्रीय जनसम्पर्क संस्थाओं की एक कान्फ्रेंस में जनसम्पर्क को परिभाषित किया गया, “यह समाज विज्ञान की एक प्रायोगिक विधि है जो विभिन्न तरीकों का विश्लेषण करती है, उनके दूरगामी परिणामों के प्रति सचेत करती है, परामर्श प्रदान करती है, संगठनों के नेताओं को सुनियोजित कार्यक्रम कर कार्य करने की शक्ति देती है, इससे संगठन और जनता दोनों के हितों की रक्षा होती है।” 

डॉ. याकूब अली के अनुसार, “किसी भी निगम, संघ, सरकार अथवा विभिन्न संस्थाओं के कार्यकलापों के सम्बन्ध में अपने ग्राहकों, कार्यकर्त्ताओं तथा हिस्सेदारों व जनसमाज अथवा वर्ग विशेष से अपनी उपलब्धियों की ऐसी जानकारी देना जिससे जनमानस में अनुकूल परिणामों व वातावरण का सृजन हो अथवा स्वस्थ व स्थायी सम्बन्धों के लिए किये जाने वाले प्रयत्न जनसम्पर्क कहलाते हैं । 

परिभाषाओं को ध्यान में रखकर हम कह सकते हैं कि 

1. जनसम्पर्क एक योजनापूर्ण गतिविधि है।

2. यह जनता से सम्पर्कशीलता का सायास प्रयत्न है।

3. इसके माध्यम से जन रुचि का अनुमान लिया जा सकता है। 

4. जनसम्पर्क द्वारा किसी योजना का फीड बैंक जाना जा सकता 

वास्तव में जनसम्पर्क एक दोहरी प्रक्रिया है, इस द्वारा जनता को बड़े सुनियोजित ढंग से अपने अनुरूप किया जा सकता है तथा जन व्यवहार को प्रभावित कर जनमत पाया जा सकता है। जनसम्पर्क का वास्तविक उद्देश्य संगठन के प्रति जनमत पैदा करना है। 

इस द्वारा जनता और संगठन के बीच एकाकारता या सम्बन्धों में माधुर्य लाने की चेष्टा होती है। इससे आम जनता का विश्वास जीता जा सकता है । इसके माध्यम से संगठन के बारे में उत्पन्न शंका, भ्रम अफवाह आदि का निराकरण किया जाता है और जनमत का मूल्यांकन या विश्लेषण करने में सुविधा मिलती है। 

आधुनिक युग में लोक सम्पर्क अत्यन्त आवश्यक है । जनसम्पर्क या लोक सम्पर्क प्रायः प्रचार, विज्ञापन करने, प्रोपेगण्डा व दलबन्दी करने का पर्याय मान लिया जाता है। सत्यता तो यह है इस द्वारा सही सूचना जनता तक पहुंचायी जा सकती है। जनसम्पर्क का पहला कार्य ही यही है कि किसी जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करना। 

डेनी ग्रीसवोल्ड जिन्हें लोकसम्पर्क समाचारों का जनक माना जाता है उनकी मान्यता है यह एक ऐसा प्रबन्धन है जो जनता की अभिरुचियों का मूल्यांकन करता है, किसी संगठन की क्रिया विधि व योजनाओं की जानकारी देता है और जनता की बौद्धिक स्वीकृति लेने के लिए अपने कार्यक्रमों को क्रियान्वित करता है। 

Institute of Public Relation V. K. की मान्यता है – “सुविचारित, सुनियोजित और निरन्तर प्रयत्नों जिन द्वारा परस्पर तालमेल कर जनता का विश्वास जीता जा सकता है उसे बनाये रखा जा सकता है- लोक सम्पर्क है। एक लोकतान्त्रिक देश में जनसम्पर्क की अहम् भूमिका होती है, क्योंकि इस माध्यम से जनमत निर्मित किया जा सकता है। एक प्रजातन्त्र में सरकार का स्वरूप जनता की, जनता द्वारा, जनता के लिए माना गया है। 

स्पष्ट है कि ऐसी सरकार सामाजिक कल्याण का श्रेष्ठ कर्म मानती है। ऐसे वातावरण में लोगों का दिल जीतना और कल्याण की योजनाएं चलाना जरूरी है। अपनी योजनाएं स्पष्ट करने के लिए, जनता का सहयोग पाने की अकांक्षा से जनसम्पर्क साधना अनिवार्य हो जाता है। एक लोकतन्त्र ढ़ांचे में सरकार की विपक्ष द्वारा तीखी आलोचना होती है। इसका खण्डन करने के लिए सरकार जनसम्पर्क का सहारा लेती है।

पत्रकार में लोक सम्पर्क अधिकारी के सभी गुण होने आवश्यक हूँ। पत्रकारिता में जनसम्पर्क के बिना काम नहीं चलता। आधुनिक युग प्रतियोगिता का युग है जिसमें पत्रकारिता एक स्पर्द्धाशील उद्योग के रूप . में है। आय का मुख्य साधन विज्ञान है और अपने पत्र के लिए अधिक से अधिक विज्ञापन जुटाने के लिए जनसम्पर्क करना पड़ता है। 

संवाददाता यदि तटस्थ, निष्पक्ष रहकर समाचार संकलन करता है, न किसी का प्रोपेगण्डा या प्रचार करता है न समाचारों को किसी की स्तुति या निन्दा का विषय बनता है तो वह सच्चे जनसम्पर्क अधिकारी का कार्य कर रहा होता है । पत्र-पत्रिकाओं का जनता से समाचारों, अग्रलेखों, सम्पादकीयों व अन्य रचनाओं के माध्यम से सम्पर्क होता है। पत्रकार लोगों की जिहवा का कार्य उनकी लेखनी करती है। 

इन रचनाओं में पत्र की वाणी रहती है जिसकी प्रशंसा, आलोचना, टिप्पणियों या सम्पादक के नाम पत्रों में व्यक्त होती है । पत्रकारिता का वास्तविक उद्देश्य तो व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना है, अतः समाचार-पत्र, पत्रिकाओं में सामग्री का संकलन करते समय जनसम्पर्क का भी ध्यान रखना पड़ता है कि सामग्री हिंसा, उन्माद या साम्प्रदायिक वैमनस्य का संचार करने वाली न हो अपितु उससे सामाजिक, सामुदायिक, सांस्कृतिक विकास होता हो। 

संवाददाता को यह समझना चाहिए कि जनसम्पर्क ही समाचारों का मुख्य स्रोत है। सनसनीखेज, चटपटी खबरों की रचना कर वाहवाही लूटने वाले पत्रकार जनसम्पर्क का वास्तविक उद्देश्य भूला बैठते हैं। समाचारदाता का उद्देश्य मात्र समाचार देना नहीं है अपितु जनमानस की सदाशयता को ध्यान में रख कर समाचार देना भी है। 

जनसम्पर्क का सीधा-सा तरीका परस्पर सहयोग, विश्वास, तटस्थता, निष्पक्षता है। पत्रकारिता की आचार संहिता, नैतिकता का अनुसरण करके ही आदर्श पत्रकार होने का स्वप्न पूरा हो सकता है और सच्चे अर्थों में जनसम्पर्क पूरा किया जा सकता है।

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