What is an interview for mass media? | जनसंचार माध्यमों के लिए साक्षात्कार (इन्टरव्यू) क्या होता है?

साक्षात्कार (इन्टरव्यू) : 

आधुनिक युग में जनसंचार के विभिन्न माध्यम जैसे- रेडियो, टेलीविजन, समाचार-पत्र-पत्रिका आदि जनसम्पर्क के प्रमुख साधन माने जाते हैं। इन माध्यमों से देश-विदेश के समाचार दिये जाते हैं और घटनाओं की पूरी-पूरी जानकारी दी जाती है। सम्प्रेषण के ये सशक्त माध्यम केवल समाचारों के प्रेषण तक ही संतुष्ट नहीं हो जाते। इनके द्वारा आम जनता का मनोरंजन भी किया जाता है, मनोरंजन के अतिरिक्त समाज का दिशा-निर्देश भी किया जाता है। वास्तव में जनसंचार का मुख्य लक्ष्य तो समाज का विकास है। समाज की उन्नति तभी संभव है जब अच्छाई का प्रसार हो, बुराई की निन्दा हो । 

जनसंचार के विविध माध्यम सद्-असद का विवेचन करते हैं और मानव के व्यक्तित्व को परिष्कृत करने में जुटे रहते हैं, क्योंकि मनुष्य के सर्वांगीण विकास से ही समाज की उन्नति संभव है। रेडियो (आकाशवाणी). टेलीविजन (दूरदर्शन), समाचार पत्रादि में अनेक ऐसे कार्यक्रम या स्तम्भ होते हैं जो कहीं ना कहीं समाज को सही दिशा देने में सहायक हैं। नाटक, कहानी, रिपोतार्ज, फीचर, इन्टरव्यू आदि ऐसे ही स्तम्भ हैं। प्रस्तुत अध्याय में इन्टरव्यू नामक विधा पर विचार करना समीचीन जान पड़ता है। 

साक्षात्कार (Interview) : 

इन्टरव्यू, साक्षात्कार, भेंटवार्ता- सब पर्यायवाची हैं। आक्सफोर्ड डिक्शनरी में इसका अर्थ- Meeting of persons face to face i.e. for purpose of conference, meeting between persons employed by newspaper & someone from whom he Seeks to get statements for publication. Random House Dictionary में लिखा है- Interview means a meeting for obtaining information by questioning. 

आजकल समाचार अथवा अन्य जानकारी पाने के लिए साक्षात्कार एक प्रमुख माध्यम है। इसका प्रमुख उद्देश्य समसामयिक विषयों, घटनाओं, समस्याओं से सम्बन्ध में पाठकों, श्रोताओं या द्रष्टाओं की जिज्ञासापूर्ति हेतु सूचनाओं का संग्रहण करना है। साक्षात्कार द्वारा किसी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति, विषय विशेषज्ञ, विशिष्ट अधिकारी से आपेक्षित सूचनाएं इकट्ठी की जा सकती है। 

कई बार सामान्य या आम लोगों के साक्षात्कार भी लिए जाते हैं। साक्षात्कार के माध्यम से सीधा सम्पर्क कर सही सूचना प्राप्त की जाती है। व्यक्ति विशेष की व्यक्तिगत राय प्राप्त की जाती है, तथ्यों की पुष्टि हो सकती है, एक ही विषय पर विभिन्न लोगों के विचार पाये जा सकते हैं। साक्षात्कार से समाचार-पत्रों की निजी विश्वसनीयता उत्पन्न होती है। विद्वानों, विशेषज्ञों के साथ-साथ आम जनता से बातचीत कर उसकी राय भी जानने का प्रयास होता है। साक्षात्कार से प्राप्त सामग्री समाचारों के लिए कच्चा माल का कार्य करती है। 

साक्षात्कार के आधार पर लेख, टिप्पणी भी प्रस्तुत हो सकते हैं। कई बार सम्पादकीय का आधारभूत विषय भी साक्षात्कार से प्राप्त हो जाता है। साक्षात्कार (इन्टरव्यू) में निश्चित रूप से दो पक्ष तो होते ही है। एक तो इन्टरव्यूकार अर्थात् भेंटकर्त्ता या वार्ताकार होता है जबकि दूसरा पक्ष वह व्यक्ति विशेष है जिसका साक्षात्कार लिया जाना है। साक्षात्कार लेने वालो या साक्षात्कार देने वालो की संख्या के विषय में कोई सैद्धान्तिक अवधारणा नहीं है। 

साक्षात्कार : एक जटिल प्रक्रिया इन्टरव्यू या साक्षात्कार की प्रक्रिया जितनी सरल दिखाई देती है यह उतनी ही जटिल भी है। भेंटकर्त्ता को एक सीमित समय में बहुत-सी जानकारियां प्राप्त करनी होती है। अतः वह साक्षात्कार से पूर्व ही सब विषयों को आत्मसात कर लेता है जिनके विषय में साक्षात्कार लिया जाना है। इस सूझबूझ के अभाव में साक्षात्कार एकालाप बनकर रह जाता है। साक्षात्कार के लिए दोनों पक्षों में परस्पर विश्वास, सौहार्द होना जरूरी है। इसके अभाव में सूचनाएं आधी-अधूरी प्राप्त होती हैं।

यह बात विशेष ध्यान देने योग्य हैं कि भेंटकर्त्ता को विषय सम्बन्धी काफी जानकारी होनी चाहिए तभी वह अपनी जिज्ञासा या प्रक्रिया प्रकट कर सकता है। जिसका साक्षात्कार लिया जाना है उसका चयन भी महत्त्वपूर्ण विषय है। प्रमुख राजनेता, प्रशासनाधिकारी, विषय-विशेषज्ञ, योग्यता प्राप्त विशिष्ट लोगों का साक्षात्कार लिया जा सकता है। इसमें ध्यान देने योग्य बात यह है कि उस व्यक्ति का 

साक्षात्कार लेना चाहिए जो उस क्षेत्र में महत्त्व रखता हो। साक्षात्कार तथ्यात्मक सूचनाओं का तीव्र संचार साधन है जिससे स्थितियों का अनुमान लगाया जा सकता है, विचारों से परिचय पाया जा सकता है, निर्णयों की जानकारी मिल सकती है। स्पष्ट यह है कि साक्षात्कार या इन्टरव्यू के माध्यम से समाचार-पत्र, रेडियो तथा दूरदर्शन विभिन्न घटनाओं, समस्याओं पर व्यक्ति-विशेष से जानकारी प्राप्त करते हैं, इन्टरव्यू द्वारा व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व की छवि का भी पता चलता है। समसामयिक विषयों के साक्षात्कार जीवन्त हुआ करते हैं। 

साक्षात्कार का वर्गीकरण : 

आज इन्टरव्यू विविध क्षेत्रीय हो गया है। स्वरूप के आधार पर साक्षात्कार को दो वर्गों में बांटा जा सकता है

1. व्यक्तिनिष्ठ साक्षात्कार 

2. विषयनिष्ठ साक्षात्कार 

1. व्यक्तिनिष्ठ साक्षात्कार : 

इस साक्षात्कार में व्यक्ति को पूरा महत्त्व दिया जाता है। व्यक्ति-विशेष के जीवन, अभिरुचि, विचार, प्रेरणाओं की जानकारी प्राप्त की जाती है। 

2. विषयनिष्ठ साक्षात्कार : 

इस साक्षात्कार में विषय को बहुत महत्त्व दिया जाता है। इन्टरव्यू के पात्र से व्यक्तिगत जीवन की अपेक्षा विषय सम्बन्धी जानकारी प्राप्त की जाती है। 

साक्षात्कार या इन्टरव्यू के विभिन्न प्रकार हैं, जैसे- शैली के आधार पर, विवरणात्मक, वर्णनात्मक, विचारात्मक, प्रभावात्मक, हास्य-व्यंग्यात्मक, भावात्मक, प्रश्नोत्तरात्मक साक्षात्कार हो सकते हैं।

सम्पर्क माध्यमों के आधार पर भी इन्टरव्यू को अनेक रूपों में विभाजित किया जा सकता है। प्रथम भेंट के आधार पर वार्ताकार पात्र विशेष से भेंट कर जानकारी पा लेता है। इसके अतिरिक्त पत्र इन्टरव्यू फोन वार्ता, काल्पनिक, हास्य-व्यंग्यात्मक इन्टरव्यू हो सकते हैं। आकार की दृष्टि से समयावधि को ध्यान में रखकर लघु या दीर्घ इन्टरव्यू हो सकते हैं। 

अतिलघु साक्षात्कार प्रायः दूरदर्शन या आकाशवाणी में दिए जाते हैं। जबकि पत्र-पत्रिकाओं में साक्षात्कार विस्तृत भी हो जाते हैं। साक्षात्कार के अन्य कुछ आधारों में ‘आत्म साक्षात्कार भी है जिसमें व्यक्ति विशेष अपने स्वयं का इन्टरव्यू लिखता है या बोलता है, जैसे- अज्ञेय, अमृता प्रीतम, शिवमंगल सिंह सुमन आदि ने आत्म साक्षात्कार किया है। संक्षेप में, साक्षात्कार अत्यन्त विस्तृत विधा है, इसके अनेक वर्ग या भेद हैं। 

साक्षात्कार के प्रकार : 

साक्षात्कार के निम्न प्रकार हैं 

प्रत्यक्ष साक्षात्कार : 

इनमें किसी विशिष्ट या सामान्य व्यक्ति से बातचीत कर जानकारी प्राप्त की जाती है ।

पूर्व निर्धारित साक्षात्कार : 

इस साक्षात्कार में स्थान, समय निर्धारित किया जाता है। विषय भी पूर्व निर्धारित होता है। इससे साक्षात्कारदाता को भी सूचना प्रस्तुत करने में सुविधा होती है। भेंटवार्ताकार भी साक्षात्कार से पहले ही प्रश्न तैयार कर सकता है। रेडियो के लिए साक्षात्कार लेने हेतु टेपरिकार्डर (ध्वनि संग्राहक) की आवश्यकता होती है। आजकल समाचार-पत्र या पत्रिकाओं के लिए भी इस सुविधा का लाभ उठाया जाता है। 

दूरदर्शन के लिए इन्टरव्यू लेने हेतु वीडियो-ध्वनि अंकन जरूरी है। साक्षात्कारदाता की पृष्ठभूमि, उनकी सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक मान्यताओं का पूरा और सही ज्ञान भी भेंटवार्ताकार को होना चाहिए। साक्षात्कार में हीनता, घृणा, चिढ़ उत्पन्न करने वाले विषयों से जुड़े प्रश्न नहीं पूछने चाहिएं अन्यथा साक्षात्कार में सम्पर्कशीलता टूटने की संभावना रहती है ।

सर्वेक्षण साक्षात्कार : 

पाश्चात्य देशों में ही नहीं अपितु पौर्वात्य देशों में इस साक्षात्कार प्रविधि का प्रचलन है। विभिन्न पत्रिकाए, समाचार पत्र, प्रसारण संगठन, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन जनमत जानने इसका प्रयोग करते हैं। पत्र-पत्रिकाएं तो प्रश्नावली के माध्यम से जनसाधारण के उतर पा लेते हैं जबकि रेडियो एवं दूरदर्शन टीम विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर आम लोगों से विषय सम्बन्धी जानकारी पा लेते हैं, जैसे- राजनीतिक दलों की लोकप्रियता, बजट का प्रभाव, सामाजिक समस्या आदि के बारे में जनसाधारण की भावना का पता चलता है। सर्वेक्षण पर आधारित समाचार अधिक रुचि से पढ़े-सुने व देखे जाते हैं। फिलिप मेयर का मत है कि पत्रकार सर्वेक्षण साक्षात्कार सफलतापूर्वक कर सकते हैं। मिलवोकी विस्कन्सिन जर्नल प्रतिवर्ष काफी सर्वेक्षण करता है ।

अनौपचारिक साक्षात्कार : 

इसमें पूर्व निर्धारित समय का प्रावधान तो है, किन्तु भावात्मकता एवं संवेदनाओं का अधिक ध्यान रखा जाता है। 

अकस्मात साक्षात्कार : 

किसी स्थान पर अल्प समय में अकस्मात कोई व्यक्ति-विशेष मिल जाता है तो उससे सामयिक विषयों पर बातचीत हो जाती है। इसे अकस्मात साक्षात्कार कहते हैं। 

अप्रत्यक्ष साक्षात्कार : 

डाक, दूरभाष द्वारा किसी से जानकारी प्राप्त करना । 

जनसंचार हेतु साक्षात्कार की तैयारी : 

साक्षात्कार के लिए भेंटवार्ता या साक्षात्कारकर्त्ता को पूरी तैयारी करनी चाहिए। उसे विषय की गम्भीरता ओर उसके आन्तरिकता पहचाननी चाहिए। व्यक्ति का चयन करते समय विभिन्न पहलुओं का ध्यान रखना चाहिए। साक्षात्कार को सफल बनाने में परस्पर विश्वास, सहयोग की भावना काम आती है। साक्षात्कारदाता का सम्मान जरूरी है। 

साक्षात्कार का प्रारम्भ कठिन प्रश्नों से नहीं होना चाहिए। साक्षात्कारदाता के उत्तर ध्यान से सुनने चाहिएं। रेडियो के लिए साक्षात्कार लेते समय ध्वनि तरंगों का भी ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि टेपरिकार्डर द्वारा ही सारा इन्टरव्यू लिया जाना है। साक्षात्कार के समय साक्षात्कारदाता के धर्म, सम्प्रदाय, राजनीतिक दल को पूरा मान देना चाहिए। प्रश्न सीधे और स्पष्ट होने से उत्तर भी सीधे और स्पष्ट मिलने की संभावना है। 

तथ्यों एवं उनकी पृष्ठभूमि की जानकारी एकत्र करने से साक्षात्कार की गरिमा और भी बढ़ जाती है। स्पष्ट शब्दों में साक्षात्कार एक चुनौती के रूप में लेना चाहिए और छोटे-छोटे प्रश्नों के माध्यम से विषय की तह तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए। पूरक प्रश्नों की यही उपयोगिता है कि वे साक्षात्कार को रोचक भी बनाते हैं तथा जिज्ञासा की पूर्ति भी करते हैं। 

तभी टोकना प्रारम्भ करें यदि सही उत्तर न मिल पा रहा हो, उत्तर में पुनरावृत्तियां की जा रही हों। साक्षात्कार में स्वयं उपदेश मत दें। हो सके तो साक्षात्कारदाता को पूर्व में ही प्रश्नों से अवगत करा दें । समयावधि का ध्यान रखें। पत्र-पत्रिका के लिए साक्षात्कार लेने वाले भेंटकर्त्ता को आलेख शीघ्र से शीघ्र लिखना पड़ता है अतः उसे आशुलेखन का पूरा ज्ञान एवं अभ्यास होना चाहिए। 

दूरदर्शन के लिए साक्षात्कार लेते समय समयावधि, कवरेज स्थल की पीठिका को ध्यान में रखना चाहिए। दूरदर्शन हेतु इन्टरव्यू प्रायः स्टूडियो में ही लिए जाते हैं। वहां हर वस्तु की व्यवस्था बनी रहती है। कई बार दूर-दर्शन टीम बाहर जाकर भी इन्टरव्यू लेती है, वहां विषयानुरूप फिल्म-निर्माण जरूरी है। साक्षात्कारदाता के निवास स्थल पर अनौपचारिक साक्षात्कार लेतेसमय उसकी अभिरुचि सम्बन्धी दृश्यांकन करने की सुविधा का लाभ उठाया जा सकता है जिससे साक्षात्कार और भी सजीव हो उठता है। 

दूरदर्शन, रेडियो तथा समाचार-पत्रों के लिए साक्षात्कार में भाषा – सौन्दर्य, परिवेश सौन्दर्य का विशिष्ट महत्त्व है। साक्षात्कार के लिए उपयुक्त स्थल होना जरूरी है। कार्यालय, निवास, होटल, एकान्त स्थल, घटना स्थल, सम्मेलन स्थल, वायुयान, रेल आदि में भी साक्षात्कार लिये जा सकते हैं। 

साक्षात्कार के समय प्रश्नकर्त्ता तथा उत्तरदाता की विभिन्न भाव-भंगिमाओं, मुद्राओं का विभिन्न कोणों से छायांकन साक्षात्कार में सहयोगी बनता है। रंगयुक्त छायाचित्रों से सुसज्जित सामग्री समाचार-पत्र, पत्रिकाओं के पाठकों को अधिक भाती है। दूरदर्शन हेतु तो यह और भी उपादेयी है। अन्त में कहा जा सकता है कि साक्षात्कार एक स्वतन्त्र विधा है जो सूचनाप्रदायक और आनन्दप्रदायक भी है।

मान लीजिए, आप ‘बालकों पर चलचित्रों का प्रभाव’ विषय पर विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं का साक्षात्कार ले रहे हैं तो आपको साक्षात्कार देने वाले विद्यार्थियों का चयन बड़ी सतर्कता से करना चाहिए। छात्र-छात्राएं अलग-अलग वय अर्थात् आयु के हों, वे अलग-अलग वर्गों के परिवारों से सम्बन्धित हों। इसके अतिरिक्त टेपरिकार्ड आदि की सुविधा का भी ध्यान रखना चाहिए।

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