What is photo journalism? | फोटो पत्रकारिता क्या है?

कहा जाता है फोटो में एक हजार शब्दों से भी अधिक कहने की सामर्थ्य होती है। आधुनिक युग में चित्र या फोटो विहीन समाचार-पत्र व पत्रिकाओं की परिकल्पना नहीं की जा सकती। वास्तव में फोटो के माध्यम से पत्र-पत्रिकाओं प्राण फूंकने की चेष्टा की जाती है। पत्रिकाओं के आवरण पृष्ठ साज-सज्जायुक्त फोटो से लैस होते हैं। 

फोटो पत्रकारिता क्या है?

पत्रकारिता की उद्यमी प्रवृत्ति ने फोटो पत्रकारिता के महत्त्व को समझा और अंगीकार किया। फोटोग्राफी और फोटो पत्रकारिता में अन्तर होता है। फोटोग्राफी तो सादे या रंगीन फोटो खींचने की प्रक्रिया है जिसमें कैमरे का भी महत्त्व है जबकि फोटो पत्रकारिता में जितना महत्त्व कैमरे का है। उतना ही अधिक महत्त्व फोटोग्राफर का भी है। 

एक अच्छा फोटोग्राफर फोटो पत्रकार, फोटो सम्पादक हो सकता है। प्रतिभा सम्पन्न, दृश्यात्मक कल्पनाशक्ति, आत्मविश्वास, रंगों की संयोजन दृष्टि सभी कुछ अच्छे फोटोग्राफर के लिए जरूरी हैं। कैमरा तथा अन्य साजो सामान होना भी आवश्यक है। फोटो पत्रकारिता के क्षेत्र में हर समय प्रशिक्षण का होता हैं औपचारिक प्रशिक्षण के साथ-साथ प्रायोगिक अभ्यास भी काम आता हैं सबसे आवश्यक है सही निर्णयात्मक क्षण को पकड़ना । यदि कवरेज करते समय फोटोग्राफर पूर्वानुमान नहीं लगाता तो महत्त्वपूर्ण क्षण को कैमरे में कैद भी नहीं कर सकता।

फोटो पत्रकारिता के मुख्य तथ्य क्या हैं?

 उत्कृष्टता के सोपानों को छूने के लिए आवश्यक है अपने कर्म के प्रति समर्पणशीलता। एक कुशल फोटोग्राफर फोटो खींचकर खानापूर्ति नहीं करता। उसकी अन्तः दृष्टि एक ऐसे छायाचित्र को जन्म देती है जो वास्तव में ही स्पन्दनशील होता है। छायाकार को तकनीकी ज्ञान होना जरूरी है। 

कैमरा का लैन्स ही वह आंख है जो दृश्यांकन कराने में समर्थ है। अच्छा फोटोग्राफर अपने व्यूप्वांइट को चुनने में देर नहीं लगाता। आवश्यकतानुरूप कैमरे की स्थितियों को परिवर्तित कर लेता है। फोटो पत्रकारिता में यह महत्त्वपूर्ण है कि किस कोण से फोटो खींचा जाये अर्थात् कैमरे का एंगल क्या हो। 

यदि लो एंगल low angle कैमरा रखा जाये तो कैमरा का केन्द्रित व्यक्ति बड़ा व ऊंचा नजर आयेगा । यदि हाई एंगल से फोटो लिया जाये तो वह छोटा नजर आयेगा। किसी राजनेता, अभिनेता, प्रसिद्ध लेखक, कलाकार के हावभाव प्रकट करने के लिए आईलेवल अर्थात् क्लोजअप उपयोगी है। इसके अतिरिक्त कैमरे की दूरी से फोटो भी काफी अन्तर किये जा सकते हैं । 

इन सब बातों का फोटोग्राफर को ज्ञान होना जरूरी है। केवल अपने ही कर्म-कौशल का दम्भ भरने वाले सही छायाकार नहीं होते । कभी-कभी कलादीर्घा में जाकर दूसरे छायाकारों की प्रस्तुतियों को निहारने से भी प्रेरणा मिलती है। उदीयमान अर्थात् नये फोटोग्राफर को स्वचालित कैमरे की तुलना में हस्तचालित कैमरा ही प्रयोग करना चाहिए। एक अच्छा फोटोग्राफर ऐसा फोटो खींचना चाहेगा जो अपने आप में सम्पूर्णता लिए हो। 

फोटोग्राफर जब कला का मर्मज्ञ हो जाता है तो वह प्रकाश, छाया, रंग का समन्वित अर्थपूर्ण रूप प्रतिपादित कर फोटो पत्रकार बन कर दिखा देता है। धीरे-धीरे फोटो पत्रकार, पत्रकारिता जगत में स्थापित हो जाता है। वास्तव में जब फोटोग्राफर अपनी अन्तःदृष्टि से कोई फोटो खींचता है तभी दर्शक या पाठक वर्ग फोटो के प्रति अभिभूत होता है। 

वास्तव में अन्तः दृष्टि ही मात्र साधन है जो मार्मिक एवं जीवन्त प्रसंग को पकड़ने में सक्षम है अन्यथा बेशकीमती कैमरे भी प्रभाव नहीं दे पाते। आइजनहावर का विचार है कि विश्वस्तर पर प्रेम तथा पारस्परिकता उत्पन्न करने में फोटो पत्रकारों की अहम् भूमिका होती है। फोटो पत्रकार को गतिशील होना पड़ता है। इसके अभाव में कई अवसर अधूरे रह जाते हैं। 

गतिशील होने के साथ-साथ निपुणता का होना जरूरी है जो केवल प्रशिक्षण या अभ्यास से ही जुटाई जा सकती है। एक ही अवसर के असंख्य फोटो खींचने की अपेक्षा समय की मांग का सिद्धांत अपनाना सही है। फोटो पत्रकार केवल फोटोग्राफर नहीं होता वह युग का अध्येता होता है, ज्वलन्त विषयों के बारे में उसकी जिज्ञासावृत्ति उसे उसके कर्मबोध के प्रति जागरूक बनाती है। गतिशील होने पर कोई फोटो पत्रकार अपने पत्र को नवीनतम चित्रों से सुसज्जित करता है सन्दर्भ के अनुरूप चित्र और चित्र शीर्षक अर्थात् कैप्सन फोटो पत्रकार की देन है। 

छाया चित्रों के शीर्षक कटलाईन Cut Line कहलाते हैं। समाचार पत्रों में आपने देखा होगा चित्र के नीचे कुछ पंक्तियां लिखी रहती हैं इन्हीं को कट लाइन कहा जाता है जो पंक्तियां चित्र के लिखी होती है कैप्सन (Caption) कहलाती हैं। कैप्सन हमेशा बड़े पावंट । में होना चाहिए। कटलाइन हमेशा छायाचित्र के नीचे दी जाती है सामान्य टाइप से मोटी होती है। 

इस बात का ध्यान रखा जाता है कि अतिविशिष्ट व्यक्ति का नाम सबसे पूर्व आये तब अन्य गणमान्य लोगों का नामोल्लेख हो। किसी भी मिथ्याभास से भरे या तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने वाले चित्रों को नहीं देना चाहिए। इसके साथ-साथ सामाजिक विषमता, धर्मोन्माद फैलाने वाले विषयों से जुड़े चित्र भी नहीं देने चाहिएं। पत्रकार की आचार-संहिता फोटो पत्रकारों के लिए भी प्रदर्शन-प्रियता किसी काम की नहीं समाज व मानवीयता सर्वोपरि है। 

यदि फोटो पत्रकार गति और प्रासंगिकता का महत्त्व समझे तो वह गतिमय तरीके से चित्र भी पत्र कार्यालय में भेज सकता है। विदेशों में प्रारम्भ से पत्रकारिता जगत में फोटो को महत्त्व को स्वीकारा गया, किन्तु हिन्दी पत्रकारिता में असुविधाओं के चलते अविकास के नाम पर फोटो का महत्त्व काफी समय बाद समझा गया । पत्रकारिता जगत में फोटो प्राप्त करने के लिए विश्वभर में समाचार समितियों की सेवाएं ली जाती रही हैं। फोटोग्राफी सिडीकेट (अमेरीका) हर्स्टस इन्टर नेशनल न्यूजफोटोज आदि ने फोटो सेवा प्रारम्भ की। 

1935 में ऐसोसियेटिड प्रैस ने भी इस प्रकार का कार्य किया । यह फोटो पत्रकारिता के विकास में लेवी बन्धुओं और आइक्स का अपूर्व योगदान है। यद्यपि फोटो पत्रकारिता के क्षेत्र में आशातीत विकास हुआ है, कैमरे अत्याधुनिक तथा अच्छी गुणवत्ता के परिणाम से युक्त हैं। फिल्मरील, कागज, रंग योजना व मुद्रण में भी सुधार हुआ है, परन्तु भारत फोटो पत्रकारिता के मामले में काफी पीछे है। 

फोटो पत्रकारिता में दक्षता आधुनिक युग की मांग है। पाठक उस समाचार पर अधिक विश्वास करते हैं जो चित्र से युक्त है। फोटो समाचार अधिक जीवन्त प्रतीत होते हैं। विभिन्न आंदोलनों के समय पुलिस की दमनकारी नीतियों का पर्दाफाश फोटो पत्रकारिता ही तो करती है। इतना ही नहीं, मानवाधिकारों के हनन की क्रियाओं को फोटो के माध्यम से दिखाया जाता है। 

इतनी महत्त्वपूर्ण भूमिका होने पर भी हिन्दी पत्रकारिता इस बारे में अधिक जागरूक नहीं है। फलस्वरूप हमें सरकारी उपक्रमों से फोटो जुटानी पड़ती हैं। फोटो पत्रकार केवल फोटो ही नहीं खींचता यह भी सुनिश्चित करता है कि समाचार कथा और फोटो दोनों एक दूसरे के अनुरूप हो। रहस्यपूर्ण सन्दर्भों के चित्र पत्र या पत्रिका के पृष्ठों पर शोभा बढ़ा सकते हैं, परन्तु इसके लिए फोटो पत्रकारों को अधिक खोजी, तथ्यान्वेषी प्रवृत्ति का परिचय देना होगा।

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