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What is Proof Modification and it’s types ? | प्रूफ संशोधन क्या है और ये कितने प्रकार के हैं?

प्रूफ संशोधन क्या है और ये कितने प्रकार के हैं?

प्रूफ संशोधन के अभाव सुन्दर से सुन्दर सामग्री भी व्यर्थ मानी जाती है। किसी कम्पोजिंग से अशुद्धि दूर करना प्रूफ रीडिंग या प्रूफ संशोधन माना जाता है। इसके अन्तर्गत मूल कापी (Original Copy) और मुद्रित कॉपी (Printed Copy) का मिलान कर देखा जाता है कि कहीं कोई अशुद्धि तो नहीं रह गयी है। शुद्धि लाने के लिए संकेताक्षरों के माध्यम से निर्देश देना ही प्रूफ संशोधन है। 

प्रूफ-पठन का सीधा सा तरीका है कि कॉपी होल्डर मूल कॉपी में देख-देख कर जोर-जोर से बोलता जाता है। प्रूफ-संशोधक प्रूफ में से अशुद्धियां दूर कर देता है। प्रूफ संशोधन के कुछ निर्धारित चिहन होते हैं। प्रूफ संशोधक कागज के दोनों ओर हाशिये में निर्देश देता है। 

प्रूफ संशोधक का कार्य काफी महत्त्व रखता है। उसे जिस भाषा का प्रूफ पढ़ना है उस भाषा का उसे अधिकारी विद्वान होना चाहिए। प्रूफ पढ़ना एक चुनौती भरा कार्य है क्योंकि थोड़ी-सी अवहेलना से मुद्रित कार्य में काफी खामियां आ जाती हैं। प्रूफ संशोधक मूल कॉपी के अनुसार ही मुद्रित वस्तु को रखता है। पाण्डुलिपि में कोई परिवर्तन नहीं करता। उसे व्यावहारिक व्याकरण सम्बन्धी दोष परिहार भी करना होता है। 

एक अच्छे प्रूफ रीडर में यह विशेषता होनी चाहिए कि वह सावधानीपूर्वक किन्तु वेग से अपना कार्य सम्पन्न करना चाहिए ताकि मुद्रण में किसी प्रकार का विलम्ब न हो। प्रूफ बड़ी सफाई से पढ़ना चाहिए अर्थात् प्रूफ पढ़ते समय लम्बी-लम्बी लकीरे खींचना ठीक नहीं अगर किसी पंक्ति से कोई शब्द, वाक्य छूट गया है तो मूल प्रति से उसे प्रूफ में निर्दिष्ट कर देना चाहिए। 

एक प्रूफ संशोधक को भाषा का सम्यक ज्ञान आवश्यक है इसके साथ ही उसे राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं का सामान्य ज्ञान होना जरूरी है। उसे मुद्रण कला और मुद्रणालय व्यवस्था का ज्ञान होना जरूरी है। कई बार प्रूफ संशोधन के उपरान्त कम्पोजिटर नयी अशुद्धि उत्पन्न कर देता है। 

अतः अशुद्धियां दूर करने के लिए उसकी आंखे अशुद्धि पकड़ने में दक्ष होनी चाहिए। प्रूफ में शीर्षक, पृष्ठ संख्या या किसी प्रकार की संख्या का भी प्रूफ पठन जरूरी है। पैंसिल से प्रूफ पढने की अपेक्षा बाल पैन आदि से प्रूफ पढ़ना अच्छा होता है। स्पSlotแตกง่ายष्ट शब्दों में प्रूफ संशोधन अत्यन्त धैर्य और बौद्धिक कर्म कौशल का परिचायक है। 

प्रूफ के प्रकार : 

प्रूफ तीन प्रकार के होते हैं- 1. गैली प्रूफ, 2. पेज प्रूफ, 3. मशीन प्रूफ । 

1. गैली प्रूफ : 

सबसे पहला प्रूफ गैली प्रूफ कहलाता है। यह कम्पोजिटर द्वारा लाया गया पहला प्रूफ होता है। इस प्रूफ की लम्बाई एक सी नहीं होती बल्कि यह अलग-अलग कॉलमों में बंधा होता है। 

2. पेज प्रूफ : 

गैली प्रूफ संशोधन के उपरांत सारी वर्ण्य सामग्री को पृष्ठवार बांधा जाता है। इसे पेज प्रूफ या दूसरा प्रूफ कहते हैं। 

3. मशीन प्रूफ : 

तीसरा प्रूफ क्लीन प्रूफ, मशीन प्रूफ भी कहलाता है। इसमें संशोधन कर प्रिंट आदेश ‘P’ लिखकर कर दिया जाता है। प्रूफ रीडर पृष्ठ के बायीं ओर हस्ताक्षर करता है। दिनांक तथा समय भी लिखता हैं । 

गैली प्रूफ, पेज प्रूफ, मशीन प्रूफ, प्रूफ संशोधन के तीन चरण हैं, परन्तु प्रूफ कितने हों इसका कोई रूढ़ नियम नहीं है।

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